संजय डुबल - बाॕलिवूड चे सुप्रसिद्ध कलादिग्दर्शक नितीन देसाई यांनी आत्महत्या केल्याचं समोर आलं आहे. त्यांच्याच कर्जत येथेली एन. डी. स्टुडिओमध्ये त्यांनी गळफास घेऊन आत्महत्या केल्याची माहिती समोर येत आहे. ते ५८ वर्षांचे होते नितीन देसाई यांनी आपल्या कारकिर्दीत अनेक हिंदी, मराठी चित्रपटांमध्ये, कला दिग्दर्शनाचं काम पाहत असत.
नितीन देसाई यांनी १९८७ सालापासून त्यांनी चित्रपटांसाठी कला दिग्दर्शनाचं काम सुरू केलं. २००५ साली त्यांनी कर्जतमध्ये सुरु केलेल्या एन. डी. स्टुडिओ उभा केला. याच स्टुडिओमध्ये त्यांनी आत्महत्या केल्याची बाब समोर आली आहे.
जोधा अकबर, हम दिल दे चुके सनम, माचिस, देवदास, लगान, प्रेम रतन धन पायो अशा अनेक हिट चित्रपटांचा समावेश आहे. तसेच ऐतिहासिक मालिका व महानाट्यांसाठीही नितीन देसाई यांनी उभारलेले सेट प्रचंड चर्चेचा विषय ठरले होते. दरम्यान, त्यांना चार वेळा सर्वोत्कृष्ट कला दिग्दर्शनाचा चार वेळा 'राष्ट्रीय पुरस्कार' तसेच फिल्म फेअर पुरस्कारानंही सन्मानित करण्यात आलं आहे.
मे 1987 मध्ये पहिल्यांदा मुंबईच्या फिल्मसिटी स्टुडिओमध्ये गेले आणि लगेचच स्टिल फोटोग्राफीच्या 2-डी फॉरमॅटमधून कला दिग्दर्शनाच्या 3 - डी जगात गेले. गोविंद निहलानी दिग्दर्शित तमस (1987) या कालखंडातील टीव्ही मालिकेसाठी ते प्रसिद्ध कला दिग्दर्शक नितीश रॉय यांच्यासोबत चौथे सहाय्यक म्हणून सामील झाले . त्यानंतर त्यांनी टीव्ही मालिका, कबीर , साडेपाच वर्षे मालिका, चाणक्य या मालिकेत पहिल्या २५ भागांसाठी काम केले आणि २६ व्या भागापासून स्वतंत्रपणे काम केले.
1993 मध्ये आलेला अधिकारी ब्रदर्सचा भूकँप हा त्यांचा पहिला फिचर चित्रपट होता , परंतु विधू विनोद चोप्रा यांचा 1942: अ लव्ह स्टोरी 1994 मधील पिरियड चित्रपट होता. परिंदा , खामोशी , माचीस , बादशाह , डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर आणि राजू चाचा यांसारख्या चित्रपटांमध्ये , सलाम बॉम्बे सारख्या आंतरराष्ट्रीय प्रकल्पांमध्ये काम केले आहे! , अमोक (जोएल फार्जेस दिग्दर्शित एक फ्रेंच चित्रपट, ज्याने देसाई अ प्री जिनी नामांकन जिंकले), जंगल बुक , कामसूत्र , कॅनेडियन चित्रपट इतका लांब प्रवास आणि पवित्र धूर . त्याने स्लमडॉग मिलेनियर 2008 चित्रपटासाठी दोन सेट देखील तयार केले , ज्यात कौन बनेगा करोडपती दृश्याचा सेट समाविष्ट आहे, योगायोगाने त्याने स्टार प्लस टीव्ही मालिकेसाठी सेट आणि ताजमहालचा एक आतील सेट देखील तयार केला होता.
ऐतिहासिक सेट्स आणि कलात्मक वस्तू एकत्र करत त्यांनी २००५ साली कर्जत येथे एन. डी. स्टुडिओ उभारला. चित्रपटातील भव्य दिव्य सेट्सची ही अद्भुत दुनिया एन. डी. स्टुडिओच्या माध्यमातून त्यांनी सर्व सामान्यांनाही खुली करून दिली होती. ‘राजा शिवछत्रपती’ या ऐतिहासिक मालिकेबरोबरच ‘बालगंधर्व’ या चित्रपटाची निर्मितीही त्यांनी केली होती.
देसाईंनी मुलुंड येथे मराठी माध्यमात शिक्षण घेतले, चित्रपटांमध्ये सामील होण्यापूर्वी त्यांनी मुंबईतील जेजे स्कूल ऑफ आर्ट आणि एल. एस. रहेजा स्कूल ऑफ आर्ट्समध्ये फोटोग्राफीचे शिक्षण घेतले.
नितीन देसाई यांना आर्थिक अडचणींचा सामना करावा लागत असल्याचं समोर आलं होतं. त्यांनी आत्महत्येचं टोकाचं पाऊल उचलण्याचं हेच कारण असल्याचं ही सांगितलं जात आहे.
नितीन चंद्रकांत देसाई यांचा जन्म दापोली येथे झाला तो एक प्रसिद्ध भारतीय कला दिग्दर्शक आणि प्रॉडक्शन डिझायनर बनला भारतीय चित्रपट आणि टेलिव्हिजन निर्माता, मराठी आणि हिंदी चित्रपट, दिल्ली येथे जागतिक सांस्कृतिक महोत्सव 2016 आणि हम दिल दे चुके यांसारख्या चित्रपटांमध्ये त्यांच्या कामासाठी प्रसिद्ध आहे. सनम (1999), लगान (2001), देवदास (2002), जोधा अकबर (2008) आणि प्रेम रतन धन पायो (2015). वीस वर्षांच्या कारकिर्दीत त्यांनी आशुतोष गोवारीकर , विधू विनोद चोप्रा , राजकुमार हिरानी आणि संजय लीला भन्साळी यांसारख्या दिग्दर्शकांसोबत काम केले आहे.. २००२ मध्ये, ते चंद्रकांत प्रॉडक्शनच्या देश देवी या कच्छच्या देवी मातेवरील भक्तिमय चित्रपटाद्वारे चित्रपट निर्माता बनले.
नितीन चंद्रकांत देसाई | |
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वर्ष | शीर्षक |
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1998-2001 | हम सब एक हैं |
1997 | दाऊद: पळताना मजा! |
2011 | नमस्कार जय हिंद! |
2011 | बालगंधर्व |
नितीन देसाई यांची कारकिर्दीचा आढावा...
दिग्दर्शक म्हणून
वर्ष | शीर्षक |
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2011 | नमस्कार जय हिंद! |
2012 | अजिंठा |
निर्माता म्हणून
वर्ष | शीर्षक |
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2008 | राजा शिवछत्रपती |
2018 | ट्रकभर स्वप्ना |
कला दिग्दर्शक म्हणून
वर्ष | शीर्षक | नोट्स |
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1989 | परिंदा | |
1993 | 1942: एक प्रेमकथा | |
1994 | आ गेले लाग जा | |
1994 | द्रोह काळ | |
1995 | ओ डार्लिंग! ये है भारत | |
1995 | अकेले आम्ही अकेले तुम | |
1995 | डॉन | |
1995 | विजेता | |
1995 | खामोशी: द म्युझिकल | |
1996 | कामसूत्र: प्रेमाची कथा | |
1996 | दिलजले | |
1996 | माचीस | |
1997 | आर या पार | |
1997 | इश्क | |
1998 | करिब | |
1998 | कीमत: ते परत आले आहेत | |
1998 | प्यार तो होना ही था | |
1998 | बारूड | |
1998 | वजूद | |
1998 | सलाम बॉम्बे! | |
1998 | दाहेक: एक ज्वलंत आवड | |
1999 | हु तू तू | |
1999 | हम दिल दे चुके सनम | |
1999 | पवित्र धूर | |
1999 | बादशाह | |
2000 | मेळा | |
2000 | खौफ | |
2000 | जंग | |
2000 | जोश | |
2000 | मिशन काश्मीर | |
2000 | डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर | |
2000 | राजू चाचा | |
2001 | एक २ का ४ | |
2002 | पिटाळ | |
2002 | फिलहाल... | |
2002 | देवदास | |
2002 | द लिजेंड ऑफ भगतसिंग | |
2002 | अनर्थ | |
2003 | एक हिंदुस्थानी | |
2003 | चुपके से | |
2003 | ताजमहाल: प्रेमाचे स्मारक | |
2003 | मुन्नाभाई एमबीबीएस | |
2006 | मेमसाहेब | |
2006 | लगे रहो मुन्ना भाई | |
2006 | जाना होगा क्या | |
2007 | गांधी, माझे वडील | |
2007 | धन धना धन लक्ष्य | |
2008 | YMI ये मेरा इंडिया | |
2008 | देव तुसी ग्रेट हो | |
2008 | दोस्ताना | |
2008 | सास बहू और सेन्सेक्स | |
2008 | लहान Zizou | |
2009 | चित्तोड की राणी पद्मिनी का जोहूर | टी. व्ही. मालिका |
2009 | तुमची राशी काय आहे? | |
2009 | जेल | |
2010 | वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई | |
2011 | बालगंधर्व | |
2019 | पानिपत | [१४] |
प्रॉडक्शन डिझायनर म्हणून
वर्ष | शीर्षक | नोट्स |
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1997 | तुन्नू की टीना | |
1998 | असा लांबचा प्रवास | |
1999 | हम दिल दे चुके सनम | |
2001 | लगान (२००१) | |
2001 | एहसास (2001) | |
2002 | पिताह (२००२ | |
2002 | मिशन काश्मीर | |
2002 | देवदास | |
2002 | हम किसीसे कम नहीं | |
2004 | खाकी | |
2004 | स्वदेस | |
2005 | मंगल पांडे: द रायझिंग | |
2006 | मेमसाहेब | |
2006 | लगे रहो मुन्ना भाई | |
2007 | ट्रॅफिक सिग्नल | |
गांधी, माझे वडील | ||
झेंडू | ||
एकलव्य: रॉयल गार्ड | ||
धन धना धन लक्ष्य | ||
2008 | जोधा अकबर | |
सास बहू और सेन्सेक्स | ||
फॅशन | ||
2010 | इश्किया | |
2010 | शांती | |
2010 | खेळीन आम्ही जी जान से | |
2013 | झापतलेला २ | |
2015 | प्रेम रतन धन पायो | |
2020 | पौराशपुर | वेब सिरीज |
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